लेखक: पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र
(क) मैं सोचने लगा – शायद कोई मित्र पधारे हैं, अच्छा ही है | महानों से जान बची |
१) लेखक किस उलझन में फँसा था ?
उत्तर: लेखक के पास कुछ खाली समय था | उसने निश्चय किया कि वो खाली समय किसी महान व्यक्ति की किताब पढ़ के गुजारी जाये | उसने जब अपने पुस्तकालय में देखा तो उसे सारी किताबें महान व्यक्तियों की ही दिखाई दी | गेटे, रूसो, नीत्शे, शेक्सपीअर, टॉलस्टॉय, मेकाले, मिल्टन आदि एक से बढ़कर एक महान लोगों की किताबें थी | इससे लेखक उलझन में पड़ गया कि किस महान लेखक की किताब पढ़े |
२) आनेवाले व्यक्ति का कार्ड देखकर लेखक क्यों घबरा गया ?
उत्तर: लेखक के घर कोई उनसे मिलने सुर्मई रंग की फियेट गाड़ी में आया था | लेखक ने पहले तो सोचा कि उनका कोई मित्र है, लेकिन जब नौकर ने आने वाले व्यक्ति का कार्ड लाकर दिया तब लेखक घबरा गया | आनेवाला व्यक्ति पुलिस सुपरिंटेंडेंट था | वो बेवक्त लेखक के घर आया था | ब्रिटिश सरकार के एक पुलिस अधिकारी को बेवक्त अपने घर पर आता देख लेखक का घबराना स्वाभाविक था |
३) मोटर की आवाज सुनकर लेखक को क्यों प्रसन्नता हुई ?
उत्तर: लेखक अपना खाली समय किसी महान व्यक्ति की किताब पढ़कर बिताने की सोच रहा था | अपने पुस्तकालय को देख कर वो उलझन में पढ़ गया कि कौन सी किताब पढ़े, पुस्तकालय में एक से बढ़कर एक महान लोगों की किताबें थी | लेखक महानों का नाम पढ़कर ही परेशान हो गया था | ऐसे समय में उन्हें मोटर की आवाज सुनाई दी, लेखक को लगा कि कोई मित्र उनसे मिलने आया है | इसलिए वो प्रसन्न हो गया क्योंकि अब उसे महान लोगों की किताब पढ़ने की जरूरत नहीं है |
४) महानों से जान बचने का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: लेखक एक धनी व्यक्ति है | उसके पुस्तकालय में एक से बढ़कर एक महान लोगों की किताबें है | लेखक के पास कुछ समय खाली था जो वो किसी महान व्यक्ति की किताब पढ़कर बिताना चाहता था, किन्तु इतने महान लोगों की किताबें देखकर वो खुद परेशान हो गया | वो निश्चय ही नहीं कर पा रहा था कि किसकी किताब पढ़े | इस प्रकार उन किताबों की वजह से लेखक का समय अच्छा व्यतीत होने के बजाय परेशानी का कारण बन गया |
ऐसे समय में लेखक से मिलने कोई व्यक्ति आया | लेखक ने सोचा उनका कोई मित्र आया है | अब उन्हें उन महान लोगों की किताब पढ़ने की जरूरत नहीं है | इसलिए लेखक ने ऐसा लिखा है कि “महानों से जान बची” |
(ख) “कहाँ रहता है यह ?”
(१) वक्ता का परिचय दीजिये |
उत्तर: वक्ता शहर का पुलिस सुपरिंटेंडेंट है | वह लेखक से “लाल” के बारे में पूछताछ करने आया था, जो लेखक के स्वर्गवासी प्रबंधक रामनाथ का पुत्र था |
(२) वक्ता किसके विषय में पूछताछ कर रहा है ?
उत्तर: वक्ता लाल के विषय में पूछताछ कर रहा था जो लेखक के स्वर्गवासी प्रबंधक रामनाथ का पुत्र था | वक्ता को लाल के सरकार विरोधी गतिविधिओं में शामिल होने का शक था |
(३) पूछताछ की पृष्ठभूमि स्पष्ट करें |
उत्तर: वक्ता लेखक से लाल के बारे में पूछताछ करने आया है | लाल ब्रिटिश सरकार का विरोधी है | वह भारत को ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजाद कराना चाहता है | इस के लिए वह षड्यंत्र, विद्रोह, हत्या सबकुछ करने को तैयार है | ब्रिटिश सरकार को उसके इरादों की जानकारी हो गयी है | वक्ता जो कि शहर का पुलिस सुपरिंटेंडेंट है, वह लेखक से लाल के बारे में जानकारी जुटाने आया है |
(४) वक्ता किस से पूछताछ कर रहा है ? उस पात्र की जानकारी दीजिये |
उत्तर: वक्ता लेखक से पूछताछ कर रहा है | लेखक शहर के जमींदार हैं और ब्रिटिश सरदार के वफादार भी | ब्रिटिश सरकार को लेखक के पड़ोसी लाल पर सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का शक है, इसलिए वक्ता लेखक से लाल के बारे में जानकारी ले रहा है | लाल के पिता लेखक की जमींदारी के मैनेजर थे | लेखक को लाल से सहानुभति तो है पर वो सरकार से डरते हैं, इसलिए उन्होंने लाल या उसकी माँ की सहायता करने का प्रयत्न नहीं करते |
(ग) “मैं तुमसे नाराज हूँ लाल !”
(१) कौन नाराज है और किससे?
उत्तर: प्रस्तुत कहानी के लेखक अपने पड़ोसी युवक लाल से नाराज है क्योंकि सरकार विरोधी गतिविधिओं में लिप्त होने के कारण ब्रिटिश सरकार उसके बारे में पूछताछ कर रही थी | लेखक को लाल से उम्मीद थी कि वह पढाई करके अपने घर का ख्याल रखेगा पर लाल भारत माता को ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजादी दिलाने का निश्चय कर चुका है |
(२) उक्त संवाद की पृष्ठभूमि क्या है?
उत्तर: लेखक एक जमींदार है जो ब्रिटिश सरकार का समर्थन करता है | उनका पड़ोसी युवक लाल ठीक इसके विपरीत ब्रिटिश सरकार को भारत से निकाल फेंकना चाहता है | इस कारण ब्रिटिश सरकार लाल की शत्रु हो गयी है | शहर के पुलिस सुपरिंटेंडेंट ने लेखक से लाल के विषय में पूछताछ की व उसे लाल से दूर रहने को भी कहा |
लेखक लाल की सरकार विरोधी गतिविधिओं को अनावश्यक मानता है | लेखक चाहता है कि लाल पहले अपनी पढाई करे, अपने घर की हालत ठीक करे, उसके बाद किसी और चीज पर ध्यान दे | इसलिए वह लाल से नाराज है |
(३) वक्ता के विचार क्या है ?
उत्तर: वक्ता एक जमींदार है जो ब्रिटिश सरकार का समर्थन करता है | उन्हें लाल द्वारा ब्रिटिश शासन का विरोध करना गलत लगता है | वे ऐसा मानते हैं कि ब्रिटिश सरकार शक्तिशाली है उनसे एक भारतीय नहीं लड़ सकता | उनके अनुसार एक विद्यार्थी को सबसे पहले अपनी पढाई पर ध्यान देकर अपना भविष्य बनाना चाहिए, उसके बाद ही अन्य किसी कर्म पर ध्यान देना चाहिए | ऐसा करनेवाले ही परिवार और देश की मर्यादा की रक्षा कर सकते हैं |
(४) श्रोता उक्त संवाद की प्रतिक्रिया में क्या कहता है ?
उत्तर: श्रोता एक कट्टर देशभक्त है | उक्त संवाद की प्रतिक्रिया में वह कहता है कि वह ब्रिटिश सरकार का विरोध करना नहीं छोड़ सकता | वह ब्रिटिश सरकार का सर्वनाश करना चाहता है चाहे उसे षड़यंत्र करना पड़े, विद्रोह करना पड़े या हत्या |
उसने लेखक से कहा कि भगवान की सहस्र भुजाएँ इस कर्म में उसकी सहायता कर रही है अतः वह निडर होकर ब्रिटिश सरकार से लोहा लेगा |
(घ) “चाचा जी, नष्ट हो जाना तो यहाँ का नियम है | जो सँवारा गया है वो बिगड़ेगा ही | हमें दुर्बलता के डर से अपना काम नहीं रोकना चाहिए |”
१) वक्ता का परिचय दीजिये |
उत्तर: वक्ता का नाम लाल है, वह एक विद्यार्थी है | उनके पिता का देहांत हो चुका है | वह लेखक का पड़ोसी है | उसके पिता रामनाथ लेखक की जमींदारी के मुख्य मेनेजर थे | वही लेखक के पास कुछ हजार रुपये छोड़ गए थे जिनसे लाल व उसके परिवार का खर्चा चलता है | लाल विचारो से बड़ा स्वतंत्र व्यक्ति है | वह भारत में ब्रिटिश शासन का घोर विरोधी है | उसके अनुसार ब्रिटिश सरकार भारत का सर्वनाश कर रही है , इसलिए वह ब्रिटिश सरकार को नष्ट कर देना चाहता है | चाहे इसके लिए उसे षड़यंत्र करना पड़े, विद्रोह करना पड़े या हत्या | वह मानता है कि ईश्वर इसमें उसकी सहायता करेंगे |
२) श्रोता का परिचय दीजिये |
उत्तर: श्रोता प्रस्तुत पाठ का लेखक है | वह पेशे से जमींदार है तथा ब्रिटिश सरकार का समर्थन करता है | उन्हें लाल द्वारा ब्रिटिश शासन का विरोध करना गलत लगता है | वे ऐसा मानते हैं कि ब्रिटिश सरकार शक्तिशाली है उनसे एक भारतीय नहीं लड़ सकता |
उनके अनुसार एक विद्यार्थी को सबसे पहले अपनी पढाई पर ध्यान देकर अपना भविष्य बनाना चाहिए, उसके बाद ही अन्य किसी कर्म पर ध्यान देना चाहिए | ऐसा करनेवाले ही परिवार और देश की मर्यादा की रक्षा कर सकते हैं |
३) वक्ता श्रोता को क्या समझाना चाहता है और क्यों ?
उत्तर: वक्ता कॉलेज का नवयुवक लाल है जो श्रोता से भारत में ब्रिटिश शासन के विषय में चर्चा कर रहा है | श्रोता जो प्रस्तुत पाठ का लेखक भी है, वह पेशे से एक जमींदार है तथा ब्रिटिश सरकार का कट्टर समर्थक भी | लाल ब्रिटिश सरकार को भारत से उखाड़ फेंकना चाहता है, चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े | लेखक उसे कहता है कि उसमें तथा उसके साथिओं में इतनी शक्ति नहीं है कि वह ब्रिटिश सरकार से लड़ सके | इसलिए वे इस लड़ाई में नष्ट हो जायेंगे | इस पर लाल लेखक को समझाते हुए कहता है कि कमजोर होने पर भी वह शक्तिशाली अंग्रेजों का विरोध करना नहीं छोड़ेगा | भले इस प्रयास में उसकी मृत्यु हो जाये | संसार में जो कुछ भी बना है उसे किसी न किसी दिन नष्ट तो होना ही है | बनना और बिगड़ना ये तो संसार का नियम है | इसलिए दुर्बलता के डर से मनुष्य को जो स्वयं का कर्तव्य है उसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए | जब मनुष्य अपना कर्म ईमानदारी से करता है तो ईश्वर स्वयं उसकी सहायता करता है |
४) श्रोता अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए क्या-क्या करने का संकल्प लिए हुए है?
उत्तर: श्रोता भारत को ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजाद कराना चाहता था | इसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार था | चाहे उसे षड़यंत्र करना पड़े, विद्रोह करना पड़े या किसी की हत्या करना पड़े | वह चाहता था कि ऐसा व्यक्ति, समाज या राष्ट्र जो दूसरे के सर्वनाश पर जीता हो – उसका सर्वनाश हो जाये और इस सर्वनाश में उसका भी हाथ हो | चाहे इस प्रयत्न में उसकी मृत्यु भले हो जाये |
झ) “बाबू वे सभी बच्चे मेरे ‘लाल’ हैं, सभी मुझे माँ ……. गाकर कहते हैं |”
१) उपरोक्त वाक्य में किन लोगों के बारे में बताया जा रहा है ?
उत्तर: उपरोक्त वाक्य में लाल की माँ जानकी, लाल तथा उसके मित्रों के बारे में बता रही है | लाल के सारे मित्रों का जानकी पर बहुत स्नेह है | वे जानकी को माँ कहकर ही बुलाते हैं | सबके सब लापरवाह हैं, हमेशा हँसते, गाते व हल्ला मचाते रहते हैं |
२) बंगड़ के बारे में लाल की माँ ने लेखक को क्या बताया ?
उत्तर: बंगड़ जानकी के पुत्र लाल का मित्र था | वह बहुत ही हँसोड़ था | दिखने में खूब तगड़ा व बली दिखता था | दौड़ने में, घूँसेबाजी में, खाने में, छेड़खानी और हो-हो-हा-हा कर हँसने में कॉलेज में उसके जैसा कोई नहीं था | उसका लाल की माँ पर बहुत स्नेह भी था |
३) बंगड़ ने लाल की माँ को किस तरह भारत माँ की तरह बनाया ?
उत्तर: बंगड़ ने भारत माँ और लाल की माँ में कई समानताएँ ढूँढ ली थी | वो अपने मित्रों के सामने बताने लगा कि भारत माँ भी बूढ़ी और लाल की माँ भी बूढ़ी | भारत माँ का हिमालय उजला है तो लाल की माँ के केश उजले हैं | लाल की माँ का सिर हिमालय, माथे की दोनों गहरी, बड़ी, रेखाएँ गंगा और यमुना है | नाक विंध्याचल, ठुड्डी कन्याकुमारी तथा छोटी बड़ी झुर्रियाँ, रेखाएँ भिन्न-भिन्न पहाड़ तथा नदियाँ हैं | उसने लाल की माँ के बालों से बर्मा तैयार कर लिया | दाहिना कान कच्छ की खाड़ी और बायाँ कान बंगाल की खाड़ी | इस प्रकार बंगड़ ने लाल की माँ के चेहरे में पूरे भारत को बना लिया था |
४) लाल की माँ क्यों हक्की-बक्की रह गयी?
उत्तर: बंगड़ ने लाल की माँ को भारत माता बना दिया व स्वयं घुटने टेककर, हाथ जोड़कर उनके पाँव के पास बैठ गया और नारा लगाने लगा, भारत माता की जय | उसकी इस हरकत को देख कर लाल के सभी मित्र जोर-जोर से हँसने लगे | सब एक साथ नारा भी लगा रहे थे | लाल की माँ इन सब हरकतों के कारण हक्की-बक्की रह गयी |
(ङ) “ये लोग शरीर की रक्षा के लिए अपनी-अपनी आत्मा की चिता सँवारते फिरते हैं | नाश हो इस परतन्त्रवाद का |”
१) उपर्युक्त वार्तालाप किन लोगों के बीच चल रहा था ? वे किस वजह से उत्तेजित थे ?
उत्तर: उपर्युक्त वार्तालाप लाल तथा उसके मित्रों के बीच चल रहा था | सारे के सारे मित्र पुलिस के अत्याचार के कारण उत्तेजित थी | पुलिस सिर्फ शक के आधार पर युवकों को गिरफ्तार कर रही थी, मार पीट रही थी | उनको सता रही थी |
२) ब्रिटिश शासनप्रणाली के विषय में युवकों के क्या विचार थे ?
उत्तर: लाल तथा उसके सारे मित्र ब्रिटिश शासन को अत्याचारी मानते थे | उनके अनुसार ब्रिटिश सरकार भारतीयों को अज्ञानी बनाकर रखती है | वो हमारे देश का धन लूट रहे हैं व हमारे धर्म का नाश कर रहे हैं | ऐसी नीच शासन प्रणाली को स्वीकार करना, अपने धर्म को, अपने कर्म को, आत्मा को, परमात्मा को भुलाना है – धीरे-धीरे घुलाना, मिटाना है | इसलिए ऐसी प्रणाली का नाश होना चाहिए |
३) युवकों के अनुसार ब्रिटिश सरकार भारतीयों को परतंत्र बनाये रखने के लिए किन तरीकों का सहारा ले रही है ?
उत्तर: लाल तथा उसके मित्रों के अनुसार ब्रिटिश सरकार बल का, धोके का तथा अन्य अनेक उपाय करके भारतीयों को परतंत्र बनाकर रखी है | भारत के लोग ज्ञानी न हो सके इसलिए भारतीयों के पढ़ने लिखने के सब साधनों को अज्ञान से भर रखा है | सरकार गरीबों को चुनकर सेना में भरती है | उन्हें शराब कबाब खिलाकर मोटा रखती है, ताकि उनका ध्यान परतंत्रता की ओर न जाये | सरकार अत्याचार व दमन का सहारा लेकर भारतीयों को कमजोर व डरपोक बना रही है |
४) लेखक को क्यों ऐसा लगता थी कि लाल का भविष्य खतरे में है ?
उत्तर: लेखक लाल के विचारों को जानता था | लाल ब्रिटिश सरकार का विरोधी था | वो ब्रिटिश सरकार को नष्ट करना चाहता था | ब्रिटिश सरकार को इस बात की भनक लग गयी थी | पुलिस सुपरिंटेंडेंट ने स्वयं आकर लेखक से लाल के बारे में पूछताछ की व उससे दूर रहने की सलाह दी | इसके अलावा लेखक ने लाल की माँ से लाल तथा उसके मित्रों के बीच जो बातचीत होती है, उसका भी पता लगा लिया | लेखक जान गया था कि सरकार लाल की तरह की सोच वाले युवकों को पकड़ रही है | उसे इस बात का अंदाजा था कि किसी दिन सरकार लाल को भी गिरफ्तार करेगी व सरकार विरोधी कार्य करने की सज़ा देगी | इसलिए लेखक को लगता था कि लाल का भविष्य खतरे में है |
(च) “ भला वे फूल से बच्चे हत्या कर सकते हैं ? ”
१) वक्ता का परिचय दीजिये |
उत्तर: वक्ता का नाम जानकी है | वह नवयुवक लाल की माँ है | उसके पति रामनाथ की मृत्यु हो चुकी है | उसके पति ने मरने से पहले कुछ हजार रुपये लेखक के पास छोड़ दिए थे, उन्हीं पैसों से उसने लाल का पालन पोषण किया | लाल व उसके साथियों को ब्रिटिश सरकार ने सरकार विरोधी गतिविधिओं के कारण गिरफ्तार कर लिया था | जब तक वो बचे जेल में थे, तब तक जानकी बराबर उनके लिए भोजन बना के जेल ले जाती, उन्हें खिलाती | प्रस्तुत पाठ में जानकी भारत के उन नारियों का प्रतिनिधित्व कर रही है जिनके पुत्रों ने भारत को आज़ाद करने के लिए स्वयं की बलि दे दी|
२) लाल तथा उसके मित्रों को कोई वकील क्यों नहीं मिल रहा था ?
उत्तर: लाल तथा उसके मित्रों पर सरकार विरोधी गतिविधियाँ चलाने का आरोप था | उनपर पुलिस के दारोगा व पुलिस सुपरिंटेंडेंट की हत्या के आरोप भी थे | ऐसी स्थिति में सरकार के डर के मारे उन्हें कोई वकील नहीं मिल रहा था क्योंकि कोई भी विद्रोहियों की सहायता करके अपनी गर्दन क्यों मुसीबत में डालता ?
३) वक्ता को किस बात का विश्वास था ?
उत्तर: कथन की वक्ता, लाल की माँ का विश्वास था कि सरकार द्वारा लगाये गए सारे आरोप पुलिस की चालबाजी है | अदालत में सब दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा, तब वे बच्चे जरूर बेदाग़ छूट जायेंगे | वे बच्चे हमेशा की तरह थक हारकर घर आयेंगे, और शोर करेंगे, जानकी को माँ कहकर पुकारेंगे | लाल की माँ को पूरा भरोसा था कि लाल व उसके मित्रों ने कोई हत्या नहीं की है |
४) लाल तथा उसके मित्रों पर किस प्रकार के आरोप लगे थे ?
उत्तर: लाल तथा उसके मित्रों पर सरकार विरोधी गतिविधियाँ चलाने का आरोप था | ब्रिटिश सरकार ने उन पर गुप्त समितियाँ स्थापित करने, उनके खर्च और प्रसार के लिए डाके डालने, सरकारी अधिकारियों के यहाँ छापे मारकर शस्त्र इकट्ठा करने तथा पलटन में बगावत फैलाने जैसे गंभीर आरोप लगाये थे | इनके अलावा पुलिस के दरोगा को मारने, पुलिस सुपरिंटेंडेंट को मारने का भी आरोप लगा था |
(छ) “मुझे विश्वास है कि तुम मेरी जन्म जन्मांतर की जननी हो, रहोगी ! मैं तुमसे दूर कहाँ जा सकता हूँ ?”
१) लाल ने अपनी माँ को पत्र क्यों लिखा था ?
उत्तर: लाल व उसके तीन और मित्रों को सरकार विरोधी गतिविधियाँ चलाने के कारण फाँसी की सज़ा दी गयी थी | लाल के परिवार में सिर्फ उसकी माँ थी जिसने उसका पालन पोषण करके उसे बड़ा किया था | अतः लाल ने मृत्यु से पहले अंतिम पत्र अपनी माँ को लिखा |
२) लाल फाँसी से पहले अपनी माँ को क्यों नहीं मिला ?
उत्तर: लाल को ब्रिटिश सरकार ने फाँसी की सज़ा दे दी थी | फाँसी से पहले सरकार मरनेवाले की अंतिम इच्छा पूरी करती है | लाल भी चाहता तो अपनी माँ से मिलने की अंतिम इच्छा प्रकट कर उससे मिल सकता था | किन्तु वह मानता था कि जानकी उसकी जन्म जन्मांतर की माता है और रहेगी | वह उससे कभी दूर नहीं हो सकती | इस लिए अंतिम दर्शन का कोई अर्थ नहीं रहता | अतः फाँसी से पहले लाल अपनी माँ से नहीं मिला |
३) लेखक के पत्र पढ़ने के बाद लाल की माँ की क्या दशा हुई ?
उत्तर: लेखक लाल की माँ के सामने लाल का अंतिम पत्र पढ़ रहा था | वह पत्र लाल की मृत्यु का समाचार लेकर आया था | उस पत्र को सुनकर जानकी पूरी तरह स्तब्ध हो गयी | उतनी स्तब्धता किसी दिन यदि प्रकृति को मिलती, तो आँधी आ जाती | समुद्र पाता, तो वह भी बौखला उठता | वह भावहीन आँखों से बस लेखक की तरफ देखती रही | कुछ भी नहीं कहा | वह सामान्य औरतों की तरह रोई या घिघियाई नहीं | अपने मन का तूफ़ान उसने पूरी तरह मन में ही दबा लिया था | उसने लेखक से इशारों में लाल का पत्र माँगा और लाठी टेकती हुई लेखक के घर से बाहर चली गयी |
४) लेखक ने जमींदार के रूप में किस वर्ग का परिचय दिया है ?
उत्तर: प्रस्तुत कहानी “उसकी माँ” भारत को आज़ादी मिलने से पहले की स्थिति दर्शाती है | उस समय के जमींदार और पूंजीपति अपने आर्थिक फायदों के लिए ब्रिटिश सरकार का ही समर्थन करते हैं | ब्रिटिश सरकार की नीतियाँ उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद थी | इसलिए वो हरसंभव ब्रिटिश सरकार की ही सहायता करते थे | इन जमींदारों के मन में ब्रिटिश सरकार का भय भी बहुत हुआ करता था, क्योंकि सरकार जब चाहे तब इनकी जमींदारी छीन सकती थी | लेखक भी एक ऐसा ही जमींदार था | उनका परिवार कई पुश्तों से अंग्रेज सरकार की वफादारी करता आया था | वो ब्रिटिश सरकार और उनकी नीतियों को सही मानते थे | लेखक के मन में ब्रिटिश सरकार के प्रति बहुत भय था, इसीलिए सहानुभूति होते हुए भी उसने लाल या उसकी माँ की कोई सहायता नहीं की | इस प्रकार कहानी में लेखक एक ऐसे वर्ग का प्रतिनिधि कर रहा है जो अपने निजी फायदों के लिए अंग्रेज सरकार की गुलामी को भी सही मानते थे |
(ज) “हाँ सरकार ! विश्वास मानिए, वे मर गई हैं | साँस बंद है, आँखें खुलीं |”
१) प्रस्तुत कथन के वक्ता और श्रोता का परिचय दीजिये |
उत्तर: प्रस्तुत कथन का वक्ता एक नौकर है, जो जमींदार के यहाँ काम करता है |
इस कथन में श्रोता स्वयं लेखक है जो एक जमींदार है | वह ब्रिटिश सरकार का वफादार है | अपने देशवासियों से सहानुभूति होते हुए भी ब्रिटिश सरकार के भय से वह कभी उनकी सहायता नहीं करता |
२) कथन में किसके मरने की बात हुई है ? उसका परिचय दीजिये |
उत्तर: कथन में युवक लाल की माँ जानकी के मरने की बात हुई है | वह एक विधवा स्त्री है| उसके पति मृत्यु से पहले लेखक के पास कुछ हजार रुपये जमा करा गए थे | उन्हीं रुपयों से उसने अपने पुत्र लाल को पाल पोसकर बड़ा किया | भारत को आज़ाद करने के लिए उसके पुत्र ने अपने प्राण दे दिए थे | पुत्र की मृत्यु के दुःख में उसके भी प्राण निकल गए |
३) पाठ के शीर्षक “उसकी माँ” की सार्थकता पर प्रकाश डालिए |
उत्तर: भारत का इतिहास देश के लिए बलिदान होनेवालों के नाम रहा है | भारत माता को स्वतंत्र करने के लिए ‘लाल’ जैसे न जाने कितने क्रांतिकारी फाँसी के तख्ते पर झूल गए | इतिहास हमेशा से ऐसे व्यक्तियों का गौरव गाता रहा है | लाल की माँ की तरह ऐसी कितनी माताएँ होंगी जो अपने पुत्र को फाँसी लगने का समाचार पाकर दम तोड़ देती होंगी | उनका बलिदान शायद ही किसी को नजर आता है | उनके इस मूक बलिदान को इतिहास में भी जगह नहीं मिलती | प्रस्तुत पाठ में लेखक ने ऐसे ही एक बलिदानी युवक की माता के त्याग तथा उसकी भावनाओं का चित्रण किया है | इसलिए “उसकी माँ” ये शीर्षक प्रस्तुत पाठ के लिए बिलकुल सार्थक है |
४) पाठ से उस समय के अधिकतर भारतीयों की मानसिकता के बारे में क्या पता चलता है ?
उत्तर: कहानी की पृष्ठभूमि उस समय की है जब भारत ब्रिटिश शासन के अंतर्गत था | वर्षों की गुलामी ने भारतीयों में कायरता ला दी थी | ज्यादातर लोग जानते थे कि उनके साथ ब्रिटिश सरकार अन्याय कर रही है, पशुवत व्यवहार कर रही है | हमारे देश की धर्म, प्राण तथा धन को चूस रही है लेकिन लोगों में ये साहस नहीं था कि ब्रिटिश सरकार का विरोध कर सके | कुछ गिने-चुने लोग ब्रिटिश सरकार का विरोध कर रहे थे | ऐसे लोगों पर ब्रिटिश सरकार तरह-तरह के अत्याचार कर रही थी | हमारे देश के लोग डर के मारे या अपने स्वार्थ के लिए ऐसे देशभक्तों का साथ नहीं दे रहे थे | हमारी करोड़ों की आबादी एक परतंत्र देश के दबे-कुचले नागरिकों से ज्यादा कुछ नहीं थी |
प्र.२ क्या परतंत्र जीवन जीने की अपेक्षा स्वतंत्र होने के प्रयत्न में प्राप्त होने वाली मृत्यु ज्यादा श्रेष्ठ है ?
उत्तर: परतंत्र जीवन पशुता का जीवन है | परतंत्रता में भले जितनी भी सुख सुविधाएँ मिले, वह नरक से भी बुरी है | परतंत्र व्यक्ति और राष्ट्र का कोई सम्मान नहीं करता | उसकी उपलब्धियों को कोई मूल्य नहीं रहता | उसके नागरिक संसार में कहीं भी जाये, उनके माथे पर एक गुलाम देश के नागरिक होने का कलंक सदा लगा रहता है | स्वतंत्र होकर नरक में रहना परतंत्र होकर स्वर्ग में रहने से ज्यादा अच्छा है | इसलिए मनुष्य को भले प्राण देना पड़े, अपनी स्वतंत्रता बनाये रखने के लिए हमेशा संघर्षरत रहना चाहिए | स्वतंत्रता की राह में प्राप्त हुई मृत्यु मनुष्य को अमर बना देती है |
प्र.३ क्या हमारे इतिहास में देश के लिए बलिदान देने वाले सभी व्यक्तियों को स्थान मिला है ? उत्तर: हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अनगिनत लोगों ने बलिदान दिया है | किसी ने वर्षों तक अपना जीवन जेल में बिता दिया तो कोई फाँसी पर चढ़ गया | पूरा देश उनके बलिदानों को याद रखता है | हमारे इतिहास में उनका नाम अमर है | किन्तु ऐसे भी अनगिनत लोग है जिनका देश के लिए योगदान अमूल्य है पर हम उनका नाम तक नहीं जानते | ऐसे लोगों में जो सबसे बड़ा वर्ग है वो है देश के लिए बलिदान हुए लोगों के परिवारों का | जिन माता-पिता के पुत्र देश के लिए शहीद हुए, जिन स्त्रियों के पति शहीद हुए उनका बलिदान किसी से भी कम नहीं है | पर हम उनका नाम तक नहीं जानते | उनका बलिदान मूक बलिदान था | इसलिए हम नहीं कह सकते कि हमारे इतिहास में हर बलिदानी को स्थान मिला है |
प्र.४ प्रस्तुत पाठ का उदाहरण देते हुए बताइए कि भय किस प्रकार मनुष्य को अपना कर्तव्य करने से रोकता है ?
उत्तर: कई बार मनुष्य को अपना कर्तव्य पता होने के बावजूद भय के कारण वह उसे पूरा नहीं करता | प्रस्तुत पाठ ‘उसकी माँ’ में भी भय के कारण कोई भी लाल तथा उसकी माँ की सहायता नहीं करता | लाल तथा उसके साथी देश के लिए बलिदान होने जा रहे थे | उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया था | इसलिए उनकी गिनती अब विद्रोहियों में होने लगी थी | लेखक का लाल की माँ पर अपार प्रेम था पर वह भी भय से उनकी कोई सहायता नहीं करता | लोग लाल की माँ से मिलने से भी डरते | कोई वकील उनके पक्ष से लड़ने को भी तैयार नहीं हो रहा था | अंग्रेज सरकार के भय ने सबके हाथ बाँध दिए थे, उन्हें उनका कर्तव्य करने से रोक दिया था |
प्र.५ प्रस्तुत पाठ के नायक के जीवन-चरित्र से आपने क्या प्रेरणा प्राप्त की है ? क्या आज हमारे देश को ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है ? तर्कसहित उत्तर दीजिये | (ICSE 2011)
उत्तर: प्रस्तुत पाठ का नायक लाल देशप्रेम की भावना से भरा हुआ एक ऐसा युवक है जिसने देश के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी | ऐसे व्यक्तियों के जीवन चरित्र पढ़ने से मनुष्य के मन में देशप्रेम की भावना दृढ़ होती है | देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान देने के लिए तत्पर की प्रेरणा हमें लाल से मिलती है | हमारे देश को आज इस तरह के निस्वार्थ व्यक्तियों की अत्यधिक आवश्यकता है | देशप्रेम को अपने व्यक्तिगत हितों के ऊपर रखने वाले व्यक्ति ही देश की अवस्था को सुधार सकते हैं | लाल जैसी युवकों की संघर्ष करने की क्षमता, देश के लिए कुर्बान होने का भाव इसकी आज देश को बहुत आवश्यकता है |