कवि: सुमित्रानन्दन पंत
क) झम-झम झम-झम ………………………………. मेघ गगन में भरते गर्जन |
१) उपर्युक्त पंक्तियाँ कहाँ से ली गयी हैं ? कवि का परिचय दो |
उत्तर: उपर्युक्त पंक्तियाँ ‘सावन’ नामक कविता से ली गयी है | इसके कवि श्री सुमित्रानन्दन पंत हैं | प्रसाद और निराला की भाँति पंत जी भी छायावाद के स्तंभ माने जाते हैं | इनके काव्य में कला, विचारों तथा भावों का यथोचित स्थान रहता है | अपनी नैसर्गिक प्रतिभा द्वारा पंत जी ने आधुनिक खड़ी बोली के रूप को अत्यंत समृद्ध और रमणीय बनाया है | इनके काव्य ग्रंथों में ‘पल्लव’, ‘गुंजन’, ‘ग्राम्या’, ‘स्वर्ण किरण’, ‘उत्तरा’, और ‘चिदंबरा’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं |
२) सावन की वर्षा का कवि ने किन शब्दों में वर्णन किया है ?
उत्तर: सावन के मौसम में झम-झम कर मेघ बरस रहे हैं | वर्षा के पानी की बूँदें पेड़ों से छन के छम-छम करती हुई जमीन पर गिर रहीं हैं | आसमान में बादलों के बीच चम-चम कर बिजली चमक रही है | दिन में सूर्य के बादलों के बीच छुपने से कभी अँधेरा छा जाता है तो कभी सूर्य के बादलों से बाहर निकलते ही उजाला हो जाता है | इस प्रकार सावन के महीने की वर्षा मन को लुभानेवाली होती है |
३) मन के सपने जगने का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: सावन के महीने में मौसम बहुत लुभावना होता है | चारों और छाए हुए काले बादल, सूरज का लुका-छिपी खेलना, वर्षा की बूँदों की आवाज यह सब मिलकर बड़ा मनोहारी वातावरण बनाती हैं | ऐसे वातावरण में मनुष्य का मन तरह-तरह की कल्पनाएँ करने लगता है | उसके मन में इच्छाएँ जागती हैं फिर समाप्त हो जाती हैं | इसलिए कवि कहता है कि सावन के महीने में रुक-रुक कर मन के सपने जागते हैं |
४) बादलों को पागल कहने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: सावन ऋतु में काले-काले बादल चारों ओर छा जाते हैं | उन बादलों के आपस में टकराने से जोरों की गड़गड़ाहट होती है | बिजली चमकती है | पानी की तेज बौछारें धरती पर गिरने लगती हैं | कभी ये बादल सूर्य को ढँक के चारों तरफ अँधेरा कर देते हैं तो कभी सूर्य की गरमी से तितर-बितर हो जाते हैं, जिससे हर तरफ प्रकाश फैल जाता है | इन सब कारणों से कवि बादलों को पागल कह रहे हैं |
५) सोन-बलाक के सुख से क्रंदन करने का क्या अर्थ है ?
उत्तर: सोन तथा बलाक अर्थात बगुला, दोनों जलपक्षी हैं | दोनों को जल बहुत प्रिय होता है | वर्षा के मौसम में चारों तरह जल ही जल होता है | लगातार बरसता पानी दोनों पक्षिओं को बहुत प्रसन्न कर देता है | वो प्रसन्न होकर जोर-जोर की ध्वनि निकालने लगते हैं | उस समय वो पूरी तरह भीगे हुए भी होते हैं | इसलिए कवि उनकी ध्वनि को आर्द्र सुख से किया हुआ क्रंदन कहते हैं |
ख) वर्षा के प्रिय स्वर उर में …………………………… तरुण-तरुण की पुलकावलि भर |
१) सावन का मौसम मनुष्य के मन को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर: सावन के मौसम में मेघों का बरसना, बिजली का चमकना, बादलों का गडगडाना यह सब ऐसे स्वर पैदा करते हैं कि मनुष्य का मन सम्मोहित हो जाता है | अनगिनत कीट-पतंगे तथा पक्षी वर्षा के मौसम में गाने लगते हैं | वर्षा का पानी पेड़ों से छन के जमीन पर गिरता है तो विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है | इन सब से बड़ा संगीतमय वातावरण बनता है जिससे मनुष्य के मन में आलस्य छा जाता है |
२) वर्षा की बूँदों का धरती पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर: वर्षा की बूँदें जब रिमझिम-रिमझिम कर धरती पर गिरती हैं तो ऐसा लगता है जैसे धरती से कुछ बोल रही हों | धाराओं पर धाराएँ धरती पर गिरती जाती हैं | जब वर्षा का पानी रिस-रिसकर धरती के अंदर जाता है तो धरती का रोम-रोम सिहर उठता है | मिट्टी के कण-कण में, घास के प्रत्येक तिनके में भीगने के कारण आनंद की लहर दौड़ जाती है |
३) मेघों के कोमल तम से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: मेघ ज्यादातर काले रंग के होते हैं | वो जब आसमान पर छा जाते हैं तो सूर्य को ढँक लेते हैं | उससे चारों तरफ अँधेरा छा जाता है | वो अँधेरा बहुत घना नहीं होता | ऐसा लगता है जैसे शाम का समय हो | मेघ के कारण होनेवाले इस हलके अँधेरे को कवि मेघों का कोमल तम कहते हैं |
४) कीट-विहग के सुख गायन करने का क्या अर्थ है ?
उत्तर: कुछ कीट-पतंगे एवं पक्षी होते हैं जो सिर्फ वर्षा ऋतु में ही बोलते हैं | अन्य मौसमों में वो शांत रहते हैं | प्रस्तुत कविता में कवि सावन के मौसम में होनेवाली वर्षा का वर्णन कर रहे हैं | तेजी से बरसने के बाद वर्षा जब शांत होती है तो उस समय पानी का स्वर थम जाता है | ऐसे में वर्षा ऋतु में बोलनेवाले कीट-पतंगे व पक्षी बड़ी तेजी से बोलने लगते हैं | उनकी आवाज से वातावरण गूँज उठता है व संगीतमय बन जाता है | कवि इसको कीट-विहग का सुख गायन कह रहे हैं |
ग) पकड़ वारि की धार ………………………………………….. जीवन में सावन मन-भावन |
१) वर्षा ऋतु में कवि का मन क्या करता है ?
उत्तर: वर्षा ऋतु में कवि का मन बहुत प्रसन्न हो जाता है व वर्षा की धाराओं के साथ झूमने लगता है | कवि सबका आवाहन कर रहा है कि सब आये और कवि को घेर कर सावन के गीत गाएँ | सब मिलकर इन्द्रधनुष के झूले में झूलें और ये उम्मीद करें कि जीवन में सावन बार-बार आये |
२) कवि सावन को मन भावन क्यों कह रहा है ?
उत्तर: सावन ऋतु में मौसम बड़ा सुहावना होता है | चारों तरफ हरियाली छाई हुई होती है | मेघों का बरसना, बिजली का चमकना, बादलों की गड़गड़ाहट यह सब मनुष्य के मन को बहुत आकर्षित करती हैं | सूर्य पलभर में बादलों के पीछे छुप जाता है तो पलभर में आसमान पर चमकने लगता है | कई कीट-पतंगे तथा पक्षी, जो अन्य मौसमों में नहीं बोलते, इस मौसम में बोलना शुरू कर देते हैं | उन सबकी मिली-जुली ध्वनि सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे पूरी प्रकृति मिलकर गीत गा रही हो | वर्षा के रुकने के बाद आसमान में दिखाई देने वाला इंद्रधनुष अप्रतिम होता है | सावन के मौसम में प्रकृति की ऐसी सुंदरता के कारण कवि उसे मन भावन कहता है |
३) सावन के गीत गाने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: भारत के देहातों में ऐसी परंपरा है कि सावन के महीने में बाग़-बगीचों में झूले बाँधे जाते हैं | गाँव की स्त्रियाँ उन झूलों में झुलती हैं व मिलजुलकर कई लोकगीत गाती हैं | उन गीतों को सावन के गीत कहते हैं | यहाँ कवि भी सभी का आवाहन कर रहे हैं कि इंद्रधनुष को झूला बनाकर झूला जाए व लोग उनको घेरकर सावन के गीत गाएँ |
४) कवि सावन को जीवन में फिर-फिर आने का आवाहन क्यों करते हैं ?
उत्तर: सावन वर्ष का वो महीना होता है जब प्रकृति बहुत सुंदर दिखती है | मनुष्य का मन प्रकृति की इस सुंदरता को देखकर अत्यधिक प्रसन्न हो जाता है | इसलिए कवि सावन को बार-बार आने का आवाहन करते हैं | सावन एक तरह से अच्छे समय का प्रतीक भी है | कवि जब बार-बार सावन के आने का आवाहन करते हैं तो इसका अर्थ यह भी है कि वह मनुष्य जीवन में अच्छा समय, सुख का समय बार-बार आये इस बात का आवाहन कर रहे हैं | यहाँ सावन का प्रयोग ऐसे प्रतीक के रूप में किया गया है जो मनुष्य जीवन के सुख के समय को दर्शाता है |
केंद्रीय भाव:
प्रस्तुत कविता सावन में कवि सुमित्रानंदन पंत सावन ऋतु का बड़ी सुंदरता से वर्णन कर रहे हैं | चारों और छाए हुए काले बादल, सूरज का लुका-छिपी खेलना, वर्षा की बूँदों की आवाज यह सब मिलकर बड़ा मनोहारी वातावरण बनाते हैं | वर्ष भर शाँत रहने वाले कीट-पतंगे व पक्षी भी इस मौसम में बोलने लगते हैं | उनकी ध्वनि बड़ा संगीतमय वातावरण बनाती है | ऐसा लगता है जैसे पूरा संसार प्रसन्न है | कवि सभी का आवाहन करते हैं कि इस समय हमें आनंद मनाते हुए सावन के गीत गाने चाहिए | कवि चाहता है कि मनुष्य जीवन में बार-बार सावन का मौसम आये | यहाँ सावन के मौसम को मनुष्य जीवन के अच्छे समय के लिए एक प्रतीक के तौर पर प्रयोग किया गया है | कवि चाहते हैं कि मनुष्य के जीवन में अच्छा समय बार-बार आये |
अतिरिक्त प्रश्न
१) सावन का मौसम वर्ष का सबसे सुहावना मौसम होता है | क्या आप इससे सहमत हैं ?
उत्तर: सावन का मौसम बहुत सुहावना होता है | चारों तरफ हरियाली छा जाती है | चारों और काले-काले बादल, उनके बीच चमकती बिजली, रिमझिम-रिमझिम कर बरसता पानी इन सब के कारण प्रकृति अत्यंत मनोहर लगने लगती है | पक्षिओं की चहचहाहट, मेढकों की आवाज ये सब सुनने को बहुत अच्छा लगता है | वातावरण भी ठंडा हो जाता है | लोग सावन के मौसम में पेड़ों पर झूले बाँधकर गीत गाते हैं | सावन का आनंद लेते हैं | इस कारण सावन मेरा पसंदीदा मौसम है |
२) मनुष्य के लिए सावन की क्या उपयोगिता है ? (ICSE 2013)
उत्तर: सावन की वर्षा के कारण मनुष्य को जल मिलता है | ग्रीष्म काल की गर्मी से छुटकारा प्राप्त होता है | खेतों में फसल बोए जाते हैं | पेड़-पौधों के उगने के लिए यह ऋतु सबसे श्रेष्ठ है | इस महीने में कई बड़े-बड़े त्योहार आते हैं | देश के हर कोने में सावन के आगमन पर कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है | लोग बाग-बगीचों में झूले लगाकर झुलते हैं व गीत गाते हैं | इस प्रकार मनुष्य जीवन में आनंद तथा समृद्धि लाने में सावन का बड़ा योगदान है |
धन्यवाद जी
Thank you so much. Great job!
Thank you so much.It is very use full to explain the students.jhill bajti jhan jhan ye samj nahe sake.
Agar ho saka to explain kareye.
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Manabhavan savan
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